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10/01/2023

मैं बस मन ही मन हंस रही थी.
अनवेश बोला- इसके फोटो देख कर तो पूरे कॉलेज के लड़के अपना लंड हिलाते हैं. सब इसे अपनी रखैल बना कर चोदना चाहते हैं.

तभी राहुल मिमिया कर बोला- अनवेश भाई, गरिमा दीदी मेरी बहन है. हम दोनों तो आपके उस दोस्त की बहन को चोदने चल रहे थे ना!
अनवेश बोला- चूतिये, वो लड़की तेरी बहन गरिमा ही है. इसी के चुच्चे देखे थे मैंने. तुझे तो अपनी इस बहन को औरों से भी बजवानी चाहिए. पर तू फ़िक्र मत कर, अब मैं हूँ ना. मैं रोज अपने दोस्तों से इस रांड को चुदवाऊंगा.

मैं सब सुन रही थी, मुझे मज़ा आ रहा था.
तभी अनवेश ने मुझे खड़ा किया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर काटने लगा.

वो बोला- दीदी, मैंने आपके नाम से बहुत मुठ मारी है. आज यकीन नहीं होता कि तू मेरे लंड से चुदने वाली है.

होंठ काटते काटते वो मेरे चुच्चे भी दबाने लगा और मेरा हाथ अपने लंड के ऊपर रख कर मुझसे लंड सहलवाने लगा.

उसका लंड काफी बड़ा और तना हुआ लग रहा था.
अब मैं भी उसे सपोर्ट करने लगी और उसे किस करने लगी.
मैंने उसका लंड बड़े प्यार से पकड़ लिया और लंड की मालिश करने लगी.

लंड पकड़ते देख कर अनवेश बोला- देख बे राहुल … तेरी बहन को लंड लेने की कितनी जल्दी हो रही है. साली कितनी मस्ती से मेरा लंड सहला रही है.

तभी मैं बोली- अनवेश, मैं भी काफी समय से तुम जैसे मर्द से चुदना चाह रही थी.

अनवेश ने ये सुनते ही मुझे उल्टा कर दिया और मेरा टॉप उतारने की जगह सीधा फाड़ दिया.
टॉप हटते ही मेरे चुच्चे एकदम से बाहर आकर खुली हवा में फुदकने लगे थे.

मैंने ब्रा नहीं पहनी थी इसलिए मेरे चूचे देख कर अनवेश की आंखों में वासना के डोरे तैरने लगे थे.

अनवेश ने झट से मेरे एक चूचे को पकड़ा एयर उसे मुँह में दबा कर चूसने लगा.

पूरी ताकत से मेरे चूचे चूसते हुए वो बोला- राहुल, ये रांड तेरे साथ घर पर ही रहती है, साले तू ऐसे माल के साथ कैसे कण्ट्रोल करता है. मैं होता, तो अपनी ऐसी हॉट बहन को रोज चार बार चोदता. साले हिजड़ा है क्या तू?

राहुल चुप था मगर वो मेरी चूचियों को देखे जा रहा था.
शायद उसे भी अपनी बहन की चूचियों के साथ अनवेश का खेलना अच्छा लग रहा था.

फिर अनवेश ने मेरी स्कर्ट उतार दी और मुझे बिना पैंटी के देख कर बोला- साली एकदम छिनाल है … बहन की लौड़ी को चुदने की इतनी जल्दी है कि रंडी ने ब्रा पैंटी कुछ नहीं पहनी है. राहुल सच में तेरी बहन तो बड़ी मस्त माल है रे!

ये कह कर उसने मेरी चूत में हाथ डाल दिया और चूत की पुत्तियां पकड़ कर मींजने लगा.
मैं एकदम से मचल उठी और मेरी चूत लंड लंड करती हुई अपना पानी बहाने लगी.

चूत का पानी महसूस करते ही अनवेश ने मुझे सोफे पर गिराया और अपना खड़ा लंड मेरी रसीली चूत में लगा दिया और मेरी एक टांग उठाकर मेरी चूत में लंड डालने लगा.

वो लंड पेलते हुए बोला- आह साली गरिमा रंडी … तेरी तो पूरी चूत ही खुली हुई है. तू कितनों से चुद चुकी है रांड!
मैं हंस दी और उसके लंड को अपनी चूत में सही निशाने पर लगा कर बोली- अब पेल दे साले.

अनवेश बोला- राहुल, तेरी गरिमा दीदी को तो बहुतों ने चोदा है रे … ये तो नेशनल हाईवे निकली साली … न जाने कितने ट्रक इसकी चूत रगड़ कर निकल गए.

ये बोलते हुए अनवेश ने झटका मार दिया जिससे उसका लंड एक बार में ही मेरी चूत की गहराई में घुसता चला गया.

मैंने एक मीठी आह के साथ अनवेश का लंड अपनी चूत में गड़प कर लिया.
अनवेश मुझे धकापेल चोदने लगा.

मुझे चूत चोदते हुए अनवेश ने मेरी चूचियों का रस पीने का मजा लेना शुरू कर दिया.
वो कभी मेरी चूत में लंड जड़ तक ठोक कर मेरे होंठ चूसने लगता तो कभी मेरे चूचे चूसने लगता.

मुझे बेहद मजा आ रहा था.
मैं अपने सगे भाई के सामने पूरी नंगी होकर उसके दोस्त से चुद रही थी.

बीस मिनट तक मैं अपने भाई के सामने नंगी पड़ी चुदती रही.

फिर कुछ ही देर में अनवेश ने अपना वीर्य मेरी चूत में गिरा दिया और मुझे चूम कर बोला- आह रांड बड़ा मजा देती है तू … अब तो जब भी आऊंगा, बस ऐसे ही चूत देती रहना.

मैंने भी उसे चूमा और कहा- मुझे भी तेरे लंड से चुदने में मजा आ गया अनवेश … आते रहना.
अनवेश- हां मेरी जान … अब तो आना जाना लगा ही रहेगा.

वो मेरे ऊपर से उठा और अपने लंड को मेरे टॉप से पौंछ कर साफ करके अपने कपड़े पहनने लगा.
कुछ देर बाद वो मुझे चूम कर अपने घर चला गया.

03/11/2022

उसी दिन उन आंटी से मैं पहली बार मिला था.
ठंड के कपड़ों की वजह से उनके जिस्म कि गोलाइयों का अंदाज़ा लगाना जरा मुश्किल था, पर चेहरे से वो मस्त माल थीं, एकदम गोरी चिट्टी और चिकनी जैसे भोजपुरी टीवी अभिनेत्री रश्मि देसाई.

जब मैंने उनसे कहा कि अपनी बीमारी के बारे में बताइए तो वो थोड़ा हिचकिचाईं.

आंटी- मैं आपको नहीं बता सकती, डॉक्टर साब को बुलाइए.
मैं- डॉक्टर साब गए हुए हैं, अगर आपको सिर्फ उनसे ही बात करनी है, तो आप दो दिन बाद आइएगा.

आंटी- मैं बहुत दूर से आई हूं, कुछ हो नहीं सकता क्या … प्लाज हेल्प मी! मैं बहुत परेशान हूं.
मैं- अगर आपको कोई प्रॉब्लम नहीं हो तो मैं आपकी परेशानी बॉस को कॉल पर बता देता हूं, वो मुझे दवाई और इलाज बता देंगे, फिर मैं आपको दवाई दे दूंगा.

आंटी मेरी बात मान गईं.
उन्होंने बताया कि उनकी जांघ पर इंफेक्शन हो गया है, जिस वजह से वे परेशान हैं.

मैं- आप एक काम कीजिए, जिस जगह इन्फेक्शन है, रूम में जाकर वहां की फोटो ले लीजिए, ताकि मैं बॉस को भेज सकूं और वो मुझे बता देंगे कि क्या करना है.

आंटी को मेरा सुझाव अच्छा लगा.
उन्होंने अन्दर कमरे में जाकर फोन से फोटो निकाली और बाहर आ गईं.

आंटी- ये फोन नया है, तो आप इसमें से फोटो देख कर डॉक्टर साब को भेज दो.

मैंने चालाकी से उनके व्हाट्सएप से फोटो खुद को सैंड की और फिर बॉस को भेजी.

पांच मिनट तक तो मैं उनकी गोरी और मोटी जांघ ही देखता रहा.
मेरा ध्यान सिर्फ उन आंटी पर था, बाकी मरीजों को दूसरों के भरोसे डालकर मैं इधर मन ही मन मौज ले रहा था.

बॉस ने फोटो देखी और मुझे डिलीट करने का मैसेज देकर और दवाई बताकर ऑफलाइन हो गए.

मगर मैं फोटो क्यों डिलीट करता, मैंने सम्भाल कर रख ली और आंटी को बोल दिया- मैंने अपना नंबर आपके फोन में डाल दिया है, कुछ परेशानी हो, तो कॉल कर लेना.

आंटी हैरानी के साथ दवाई लेकर चली गईं.

उसके बाद दो रातों तक उनकी याद में मैंने मुठ मारी, सारी रात यहीं सोचा कि क्या चेहरा था आंटी का, रसमलाई के जैसा, एकदम मीठा रसगुल्ला. उनके चेहरे से मिठास टपक रही थी, स्ट्राबेरी के जैसे रसीले होंठ मानो रस भरा पड़ा हो.

फिर अचानक से चौथी रात को मेरे पास आंटी की कॉल आई.
मैंने हैरानी से कॉल उठाई क्योंकि मुझे इसकी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी.

आंटी- हैलो जी, मैं आशिमा बोल रही हूं बरेली से, जो आपके पास दवाई लेने आई थी … याद है न आपको?
मैं अपनी खुशी दबाता हुआ बोला- जी हां याद है. अब आपकी तबियत कैसी है?

आंटी- जी थोड़ा ठीक है, मगर खुजली बहुत है. मैं सो नहीं पा रही हूं. आप कुछ बता दीजिए.
मैं- ऐसे कभी कभी खुजली होती है, आप परेशान मत हो, जल्दी आराम हो जाएगा.

मैं सोचने लगा कि ऐसा क्या करूं, जो आंटी से दोस्ती हो जाए.
मैंने अब उनके व्हाट्सैप के स्टेटस देखना और उन पर कमेंट्स करना शुरू किए.

फिर प्राइवेसी के साथ सिर्फ उनके लिए मैं अपने हॉट स्टेटस लगाने लगा.
मैंने नोटिस किया कि वो मेरे स्टेटस रेगुलर देख रही हैं.

अब मैंने नॉटी किस और सेक्स वाले स्टेटस लगाए.
वो भी अब मुझसे स्टेटस सैंड करने को कहती थीं.

इस तरह हमारी बात शुरू हो गई.
बातों बातों में पता चला कि वो अपनी जिन्दगी में बहुत डिप्रेशन से गुजरी हैं. ये सब जानकर मुझे उनसे हमदर्दी हो गई.

अब हम रोज़ बात करते और मैं उनसे फ्लर्ट करता.
वो मुझे अपनी फोटो देतीं और मैं उनके स्टेटस बनाता.

वो पिक्स भी बहुत सेक्सी भेजती थीं.
उनके चूचे इतने बड़े लगते थे कि मेरे हाथों में आएंगे ही नहीं.
उनका गला जैसे आम की बड़ी सी खाप, जिसे काटो तो ज़िंदगी खुशहाल हो जाए.

उनकी गांड और सोफे के तकियों में कोई फर्क ही नहीं लगता था.
एक बार वो गोद में बैठ जाएं तो मखमल के बिस्तर में दबने का अहसास हो.

यही सब सोचकर पता नहीं कितनी बार मेरे लंड ने उनकी याद में आंसू निकाले.

अब काफी वक़्त गुज़र गया था, हम दोनों काफी खुल चुके थे.
वो मुझसे फोन सेक्स करतीं और वीडियो कॉल पर अपनी चूत के दर्शन करातीं.

वो मुझे अपना गुलाम बनाने में कामयाब हो चुकी थीं.

फिर वो दिन आया जब हम दोनों के जिस्म की प्यास बुझने वाली थी.

रात का वक़्त था, बारिश का मौसम था.
मैं हॉस्पिटल में था, मेरी ड्यूटी ख़त्म होने में आधा घंटा था और डॉक्टर साब जा चुके थे.

मौसम को देखकर स्टाफ भी मुझे फंसा कर जल्दी घर चला गया.
तभी आंटी की कॉल आई.

आंटी- मैं दवाई लेने आ रही हूं, मौसम खराब है, तो आप मेरी दवाई बनाकर तैयार रखिएगा.
मुझसे जवाब लिए बिना ही कॉल कट गई.

आंटी आईं और बोलीं- अरे यार, डॉक्टर साब चले गए क्या?
मैं शैतानी से बोला- मैं तो हूँ ना. ये रही आपकी दवाई.

तभी बहुत तेज़ बारिश होने लगी.
मैंने पूछा- आप अकेली आई हो?

आंटी- मैं रिश्तेदार के घर आई थी तो सोचा कि दवाई भी लेती चलूं. मगर अब इस बारिश में कैसे जाऊंगी, बड़ी मुसीबत हो गई.
मैंने फौरन से उनका हाथ पकड़ा और करीब हो गया.

आंटी हैरानी से मुझे देखने लगीं- क्या कर रहे हो, कोई देख लेगा.
मैं- कोई नहीं देखेगा, यहां लोग दूसरों के केबिन में नहीं जाते.

ये बोलकर मैंने अपने हाथ उनकी कमर में डाला और उन्हें खींचने लगा, उनको दीवार से लगा दिया.

आंटी हंसने लगीं- आज आपको क्या हो गया? शर्म नहीं आती एक मजबूर का फायदा उठाते हुए?
मैं- जब मजबूर ही फायदा दे रहा हो, तो क्यों पीछे हटूं?

फिर बिना देरी के मैं उनके होंठों को चूसने लगा.
उनके होंठ जैसे रसमलाई में रसगुल्ले की याद दिला रहे थे.
उनकी लिपस्टिक जैसे रसमलाई में स्ट्रॉबेरी शेक का काम कर रही थी.

मैं लगातार उनके होंठों को चूस रहा था और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.
मेरे हाथ मेरे काबू के बाहर हो गए थे.

खुद ही खुद एक हाथ उनके बूब पर जमा था, दूसरा हाथ उनकी सलवार को चीरता हुए अन्दर घुस गया था और गांड दबा रहा था.

मेरी और आंटी की जुबानों ने लड़ाई शुरू कर दी थी.
ऐसा लग रहा था कि मैंने अपनी जुबान रूह अफजा की बोतल में डाल दी हो.

मेरे ऊपर जोश पूरा चढ़ा था.
आंटी भी नहीं रुकने वाली थीं.

माहौल ओर मौसम भी हमारे साथ थे.

मैंने आंटी को एक सोफे पर लेटाया और उनकी कुर्ती उतार दी.

मैं लगातार उनके गले को आम की कली की तरह चाट रहा था.
वो अपने नाखूनों से मुझे जख्मी कर रही थीं.

मुझसे रहा नहीं गया; मैंने उनकी ब्रा उतार दी और पेट पर किस करते हुए सलवार उतारने लगा.
उनका इंफेक्शन अब ठीक हो चुका था इसलिए मुझे कोई परेशानी नहीं हुई.

मैंने बिना देर किए उनकी पैंटी उतारी.

वो मेरे सामने अपने नंगे 40 साइज़ के गोरे चिट्टे बूब्स 36 की कमर ओर 42 की गांड के साथ नंगी पड़ी मचल रही थीं.
मैंने उनकी चूत पर हाथ रखा और पैरों पर किस करना शुरू कर दिया. नीचे से चाटते हुए धीरे धीरे ऊपर जाने लगा.

एक हाथ उनके पेट पर और दूसरा चूत पर था. पहला हाथ चूत के पास से होते हुए पेट पर जाने लगा था और दूसरा हाथ दूध पर जाने लगा था.
मुझे उस वक़्त बस आंटी की सांसों की आवाज़ आ रही थी.

मैंने हाथ चूत से हटकर बूब्स पर रखा तो आंटी ने वापस उसे चूत पर रखवा दिया और दूसरे हाथ को बूब्स पर रख दिया.
मैं मुस्कुराया और उनके निप्पल पीने लगा.

उनके निप्पलों से हल्का हल्का दूध मेरे मुँह में आ गया, जैसे रसमलाई में अलग से मलाई डाल दी हो.

उस वक़्त आंटी मेरे लिए बिल्कुल रसमलाई का 65 किलो का थाल जैसी थीं जिसे मुझे अकेले ही खाकर खत्म करना था.
मुझे एक डर भी था, क्योंकि अगर मैं आंटी को खुश नहीं कर पाया तो बहुत इज्जत का भारी कचरा होगा.

मैंने खुद को संभाला और उनको मज़े देने शुरू कर दिया.
मैं दस मिनट उनसे जुबान लड़ाने के बाद उनकी चूत पर आ गया और उसे देखने लगा.

और आंटी की चूत ऐसी, जैसे कटे सेब पर मीठा जैम लगा हो, ऐसी चूत थी उनकी!
आंटी- मेरी जान रुक क्यों गए, तड़पा कर ही जान ले लोगे क्या?

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